Akassh_ydv

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'मौत…तुझे तो आनी ही है!'

मेरी मौत मैं तुझसे डरता नही
तू ही बता न
क्या ज़िंदगी जीने वाला
एक दिन मरता नही ?
मैंने उस लम्हे से ही तुझसे नाता जोड़ लिया था
जब एक भ्रूण के रूप में
एक देवी के गर्भ में अंकुरित हुआ था
तुझे तो पता ही है न मेरे जन्म की कहानी
वो साल का आखिरी दिन वर्षो पुरानी
एक कहावत सबने सुनी सबके जुबानी
आए हो अकेले मितवा पड़ेगी तुझे अकेले ही जानी
मैं न वैसे आया था जैसे सभी इस जहां में आते हैं
तीन के साथ मैं आया... पर अब भी अकेले न जाऊंगा
खट्टी मीठी सुनहरी यादों का एक पोटली बना ले जाऊंगा
जिसमे होंगे मां बाबा मेरे और भाई बहिन सारे
जिन्होनें मुझको चंदा सूरज कहा और कहा आंखों के तारे
वे दोस्त सभी होंगे... जिन्होंने खुशियों का अहसास दिया
मिलों लंबी धरती दी...और अनंत शून्य से आकाश दिया
पर इस पोटली के एक कोने में ऐसा भी एक सख्स होगा
जो हूबहू मेरा साया है...मेरा जैसा ही उसका अक्स होगा
उसको नही अब डर है मेरी ही तरह  मर जाने का
न उसमे मोह बचा है जीवन मे कुछ भी पाने का
पाया हमने खुद को एक दूजे में
इससे ज्यादा और क्या पाए कोई
नश्वर सी इस काया को कितना गले से लगाए कोई
हाड़ मांस के पुतले हैं हम  पानी के बुलबुले से
शोर मचाते आते हैं पर  चले जाएंगे यूँ ही चुपके से
मौत मेरी तू सुन ले फिर से
मैं तुझसे डरता नही
क्या ज़िंदगी जीने वाला
एक दिन मरता नही ?
मैं सुनता हूँ आज कल अक्सर
दस्तक तेरे आने की
तू ही तो आखिरी पड़ाव है मेरा
क्या अब भी जरूरत है तुझसे डर जाने की
इतनी गुज़ारिश है बस तुझसे
जिस पल को तू मेरे करीब आए
रहे न चिंता की लकीरें माथे पे मेरी
न एक बूंद आंसू मेरे आंखों में आए
वे सभी लोग हों सामने मेरे
जिस पल मैं देह त्यागूँ मैं
आए न ऐसी एक भी घड़ी
की तुझ से बच कर के भागूं मैं
उस शख्स की  गोद मे सिर हो मेरा
उसकी बांहे मेरे गले का हार बने
खिल जाए तब रूप ये मेरा
उसका आलिंगन जब मेरा श्रृंगार बने


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2 Comments

Muskan khan

14-Dec-2022 06:02 PM

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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Sachin dev

14-Dec-2022 03:14 PM

Amazing

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